मुद्दतों बाद जब तुम अपने बच्चे को स्नातक की पढ़ाई के लिए किसी विश्वविद्यालय भेजोगे तो उस समय आपके घर मे बीबी बच्चों के अलावा कोई नहीं होगा! आपका वो छात्रावास वाला रूममेट नही होगा जो सुबह सुबह जोर जोर से बोलबोलकर तुम्हारी नींद को डिस्टर्ब करता है, कभी कभी समाचारपत्र को जोर जोर से पढ़ने लगता है ! जो चुपके से तुम्हारा परफ्यूम लगाकर क्लॉस के लिए निकल जाता है! अरे भोपड़ी के तुम्हारी ही बात कर रहा हूँ, अबे हरामखोर तुम भूल गए ना मुझे!
अरे हम वही हैं जो अपने अपने घर से सैकड़ों किमी दूर रहकर एक दूसरे का गार्जियन की तरह ख्याल रखते थे, इतना ज्यादा ख्याल रखते थे कि माई बाबू की कभी याद ही नहीं आती है!
दो बजे वाली क्लॉस करने को बाद आता था तो बस एक ही सवाल पूछता है, "भाई, खाना खाया कि नहीं?" लेकिन भाई तो दगाबाज निकल जाता है और बोलता है, "हाँ, मैने खा लिया! तुम भी जल्दी बचाखुचा खा लो वरना मेस बन्द हो जायेगा! "
"यार हम लोग खाना खाने के बाद लाइट बन्द करके बिन्दास सोएंगे! उसके बाद पढ़ना है!"
"हाँ बे, मै भी बहुत थक गया हूँ!"
लाइट के लिए, दोस्तों के रूम पर आने के लिए और तो कभी कभी मोदी जी को लेकर थोड़ी बहुत नोकझोंक व विवाद तो रूममेट का धर्म है! रविवार के दिन कपड़े धोने के लिए रूममेट से हाथ पैर जोड़कर मिन्नतें करना, लेकिन रूममेट जैसा कठोर दिल वाला कोई नही है! क्योकि परफ्यूम का असर भी खतम हो गया है तो फिर मन ना होते हुए भी कपड़ा तो धोना ही पड़ेगा! रातों रातों घंटो घंटो अपनी कन्यामित्र से बतियाकर पार्टनर को जलाने का सुख बहुत खतरनाक होता है!
कभी कभी बहुत रात को वापस आने पर ये केवल रूममेट ही पूछ सकता है, "कहाँ थे बे अभी तक? कहीँ किसी लड़की वड़की का तो चक्कर नहीं? "
"नहीं यार लाइब्रेरी मे था, वो पीले सूट वाली लड़की जो थी, आज बहुत स्माइल दे रही थी, कसम से देखना कुछ दिनो मे पटा लूँगा! "
कुछ कही अनकही न जाने कितनी मुहब्बत की दास्तान जो केवल रूममेट तक की सीमित रह जाती थी, आगे नहीं बढ़ पाती है!
रात के 1 बज चुके होते हैं और सबलोग अपने अपने कामों मे मशगूल रहते हैं! ऐसा सन्नाटा कि सबकी दिल की आवाज भी साफ साफ सुनी जा रही थी! तभी तो मैने अचानक बोला "चलो बाहर चलते हैं चाय पीने!" "अबे तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी!"
चाहे जितनी भी काली रात हो, सर्द भरी रात हो, लेकिन हॉस्टलों मे रहकर अगर रात मे बाहर की चाय नही पी तो खाक होस्टल मे रहे हैं! घर के सदस्यों से भी बढ़कर हमेशा दिलदार बनकर ख्याल रखने वाला ये रूममेट और कभी कभी तो इतना ख्याल रखता है कि बाथरूम मे कितने देर तक था, ये भी याद रहता है! कभी कभी सरदर्द का बहाना लेकर गर्ल्स हॉस्टल के चक्कर व वीटी पर चाय पीने जाना, हेल्थ सेंटर जाकर अपना वेट चेक करना व कभी कभी भौकाल मारते हुए अपने नंबर बढ़ाचढ़ाकर बताना इन सब मे बहुत कुछ सीखने को मिलता है!
इतने सारे दोस्त जिनका कोई ठिकाना नही, लेकिन सेमेस्टर क्लियर करने की कला, कम पैसे मे रेस्त्रां जाने की कला, गर्लफ्रेंड बनाने की टिप्स, किसी को मारने की प्लान और सबसे बढ़कर तो जब बर्थडे वाला दिन आता है तो जीपीएल करने का सबसे ढांसू गुप्त प्लान इसी रूममेट का रहता है! ऐसे लगता है कि सारे विलक्षण प्रतिभा की धनी हमारी मित्रमण्डली ही है! थ्री इडियट मूवी देखो तो लगता है कि रैंछोड़दास ने ऐक्टिंग हमी से ही सीखी होगी!
तब ये पल, ये अल्हड़पन, ये विशाल हरा भरा परिसर, ये बनारस का स्वाद कोसो दूर हो जायेगा, बस रह जायेंगी तो सिर्फ कुछ यादें और शायद कुछ फोटोग्राफ्स भी, शायद फोन नंबर भी न रहे! फेसबुक बाबा तो कब का छूट जायेंगे, नई नई जिम्मेवारियां जो इसकी जगह ले लेगी! तब इन पलों को, अपने दूसरे गार्जियन यानी रूममेट को याद करके केवल गम व बिछुड़न के दो आँसू टपका देना!
अरे हम वही हैं जो अपने अपने घर से सैकड़ों किमी दूर रहकर एक दूसरे का गार्जियन की तरह ख्याल रखते थे, इतना ज्यादा ख्याल रखते थे कि माई बाबू की कभी याद ही नहीं आती है!
दो बजे वाली क्लॉस करने को बाद आता था तो बस एक ही सवाल पूछता है, "भाई, खाना खाया कि नहीं?" लेकिन भाई तो दगाबाज निकल जाता है और बोलता है, "हाँ, मैने खा लिया! तुम भी जल्दी बचाखुचा खा लो वरना मेस बन्द हो जायेगा! "
"यार हम लोग खाना खाने के बाद लाइट बन्द करके बिन्दास सोएंगे! उसके बाद पढ़ना है!"
"हाँ बे, मै भी बहुत थक गया हूँ!"
लाइट के लिए, दोस्तों के रूम पर आने के लिए और तो कभी कभी मोदी जी को लेकर थोड़ी बहुत नोकझोंक व विवाद तो रूममेट का धर्म है! रविवार के दिन कपड़े धोने के लिए रूममेट से हाथ पैर जोड़कर मिन्नतें करना, लेकिन रूममेट जैसा कठोर दिल वाला कोई नही है! क्योकि परफ्यूम का असर भी खतम हो गया है तो फिर मन ना होते हुए भी कपड़ा तो धोना ही पड़ेगा! रातों रातों घंटो घंटो अपनी कन्यामित्र से बतियाकर पार्टनर को जलाने का सुख बहुत खतरनाक होता है!
कभी कभी बहुत रात को वापस आने पर ये केवल रूममेट ही पूछ सकता है, "कहाँ थे बे अभी तक? कहीँ किसी लड़की वड़की का तो चक्कर नहीं? "
"नहीं यार लाइब्रेरी मे था, वो पीले सूट वाली लड़की जो थी, आज बहुत स्माइल दे रही थी, कसम से देखना कुछ दिनो मे पटा लूँगा! "
कुछ कही अनकही न जाने कितनी मुहब्बत की दास्तान जो केवल रूममेट तक की सीमित रह जाती थी, आगे नहीं बढ़ पाती है!
रात के 1 बज चुके होते हैं और सबलोग अपने अपने कामों मे मशगूल रहते हैं! ऐसा सन्नाटा कि सबकी दिल की आवाज भी साफ साफ सुनी जा रही थी! तभी तो मैने अचानक बोला "चलो बाहर चलते हैं चाय पीने!" "अबे तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी!"
चाहे जितनी भी काली रात हो, सर्द भरी रात हो, लेकिन हॉस्टलों मे रहकर अगर रात मे बाहर की चाय नही पी तो खाक होस्टल मे रहे हैं! घर के सदस्यों से भी बढ़कर हमेशा दिलदार बनकर ख्याल रखने वाला ये रूममेट और कभी कभी तो इतना ख्याल रखता है कि बाथरूम मे कितने देर तक था, ये भी याद रहता है! कभी कभी सरदर्द का बहाना लेकर गर्ल्स हॉस्टल के चक्कर व वीटी पर चाय पीने जाना, हेल्थ सेंटर जाकर अपना वेट चेक करना व कभी कभी भौकाल मारते हुए अपने नंबर बढ़ाचढ़ाकर बताना इन सब मे बहुत कुछ सीखने को मिलता है!
इतने सारे दोस्त जिनका कोई ठिकाना नही, लेकिन सेमेस्टर क्लियर करने की कला, कम पैसे मे रेस्त्रां जाने की कला, गर्लफ्रेंड बनाने की टिप्स, किसी को मारने की प्लान और सबसे बढ़कर तो जब बर्थडे वाला दिन आता है तो जीपीएल करने का सबसे ढांसू गुप्त प्लान इसी रूममेट का रहता है! ऐसे लगता है कि सारे विलक्षण प्रतिभा की धनी हमारी मित्रमण्डली ही है! थ्री इडियट मूवी देखो तो लगता है कि रैंछोड़दास ने ऐक्टिंग हमी से ही सीखी होगी!
तब ये पल, ये अल्हड़पन, ये विशाल हरा भरा परिसर, ये बनारस का स्वाद कोसो दूर हो जायेगा, बस रह जायेंगी तो सिर्फ कुछ यादें और शायद कुछ फोटोग्राफ्स भी, शायद फोन नंबर भी न रहे! फेसबुक बाबा तो कब का छूट जायेंगे, नई नई जिम्मेवारियां जो इसकी जगह ले लेगी! तब इन पलों को, अपने दूसरे गार्जियन यानी रूममेट को याद करके केवल गम व बिछुड़न के दो आँसू टपका देना!