अंतर्मुखी व्यक्ति अपनी ही दुनिया में रहना पसंद करते हैं और इन्हें लोगों से मिलना जुलना खास पसंद नहीं होता! इनकी मनोदशा को समझना आसान नहीं होता, एक पल यह बहुत खुश रहेंगे और दूसरे ही पल उदास भी हो सकते हैं। कभी-कभी यह अपनी बात खुलकर लोगों के सामने रख पाते हैं और कभी-कभी बोलने में असहज हो जाते हैं!
आत्मविश्वास की प्रचुरता होने के साथ साथ, अधिकांशत: ऐसे लोग स्मृति के तेज होते हैं, क्योकि इनके कम बोलने की वजह से विचारों की शक्ति बढ़ जाती हैं और वो अधिक परिपक्व होते हैं, इनकी निर्णय लेने की क्षमता अधिक होती हैं! ये बहिर्मुखी लोगों की अपेक्षा अधिक सशक्त होते हैं!
उन्हें खुश रहने के लिए किसी दूसरे की जरूरत नहीं होती वह स्वयं के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं! ऐसे लोग स्वयं के आदर्श होते हैं! चिंतनशील और मननशील होना इनकी एक खूबी होती है!
अंतर्मुखी लोंगों में बात की गहराई तक पहुँचने की समझ अधिक और तीव्र होती हैं! ये लोगों के हाव-भाव भी पढ़ने में समर्थ होते हैं! हर बात पर प्रतिक्रिया न देने के कारण इनका चित्त शांत प्रकार का होता है!
कभी कभी हमारा समाज अन्तर्मुखी और शर्मीलापन को एक ही समझ लेता है जबकि ये सरासर गलत होता है! शर्मीले लोग "ये लोग क्या कहेंगे" प्रकार ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति होते है इनको दूसरो का साथ और समाजिक जीवन पसंद तो होता है लेकिन अधिक शर्मीलेपन के कारण न ही सामाजिक जीवन ही ढंग से जी पाते है न ही अन्तर्मुखी जीवन!
आत्मविश्वास की प्रचुरता होने के साथ साथ, अधिकांशत: ऐसे लोग स्मृति के तेज होते हैं, क्योकि इनके कम बोलने की वजह से विचारों की शक्ति बढ़ जाती हैं और वो अधिक परिपक्व होते हैं, इनकी निर्णय लेने की क्षमता अधिक होती हैं! ये बहिर्मुखी लोगों की अपेक्षा अधिक सशक्त होते हैं!
उन्हें खुश रहने के लिए किसी दूसरे की जरूरत नहीं होती वह स्वयं के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं! ऐसे लोग स्वयं के आदर्श होते हैं! चिंतनशील और मननशील होना इनकी एक खूबी होती है!
अंतर्मुखी लोंगों में बात की गहराई तक पहुँचने की समझ अधिक और तीव्र होती हैं! ये लोगों के हाव-भाव भी पढ़ने में समर्थ होते हैं! हर बात पर प्रतिक्रिया न देने के कारण इनका चित्त शांत प्रकार का होता है!
कभी कभी हमारा समाज अन्तर्मुखी और शर्मीलापन को एक ही समझ लेता है जबकि ये सरासर गलत होता है! शर्मीले लोग "ये लोग क्या कहेंगे" प्रकार ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति होते है इनको दूसरो का साथ और समाजिक जीवन पसंद तो होता है लेकिन अधिक शर्मीलेपन के कारण न ही सामाजिक जीवन ही ढंग से जी पाते है न ही अन्तर्मुखी जीवन!