Wednesday, 26 June 2019

अनकही सी प्रेम कहानी...

आज मै जिसकी कहने जा रहा हूँ वह वासंतिक मौसम से भी ज्यादा खुशगवार था! उसका नाम रवि घोष था! दुनिया की प्राचीनतम व धार्मिक नगरी बनारस मे वह सपनों की उड़ान भरने आया था!
करीब 21 फरवरी की सुबह थी! मानो पूर्व से सूरज गुलाब की वर्षा कर रहा हो! वह सफेद टीशर्ट और ब्लू जीन्स पहने एक नोटबुक, एक ब्लू रोरिटो पेन, हाथ की कलाई मे घड़ी पहनते हुए वह थीसिस लिखने चला जाता था! यह उसका प्रतिदिन का सफर था! शायद उसकी यह आदत हो गई थी! अपने रूटीन के हिसाब से काम करना उसको बहुत अच्छा लगता था!
दूसरी ओर अरोड़ा अंकल की बेटी अंजलि थी! कत्थई नयनो वाली, सामान्य कदकाठी, गोरा रंग ऊपर से लाल सूट पहने साधारण सी दिखने वाली! सूरत से ज्यादा सीरत कमाल की थी!
जहाँ तक मुझे याद है, इन दोनों की पहली मुलाकात सेंट्रल लाइब्रेरी की बगल मे शिवमंदिर के पास हुई थी!
रवि : इक्सक्यूज मी!
अंजलि : जी हाँ, बोलिए!
रवि : आप बायोटेक्नोलॉजी साइंस से मास्टर करती है ना!
अंजलि : हाँ आपको कैसे.....
रवि : मैने आपको देखा था! ऐक्चुअली मै मे रिसर्च करता हूँ! बहुत पहले मैने आपको देखा था! और इस शिवालय मे आपको लगभग प्रतिदिन देखता हूँ!
अंजलि : (थोड़ा मुस्कराते हुए) हाँ, मुझे यहाँ पर बहुत सुकून मिलता है!

दोनो मे कुछ कुछ दोस्ती हो गई थी! दोस्ती बस इतनी सी कि कभी कभार मिलने पर हाय-हैलो हो जाता था! ये बहुत अजीब बात है ना कि कैसे समय के साथ साथ चलने से जिन्दगी नए नए लोगों को देखना पसंद करती है! हम रुकना नही चाहते! नई जगह, नए लोग, नया मुकाम और हर पल नया पल मिलता है, जिसे हम संजो कर रख देना चाहते हैं!

दोनो की जिन्दगी का सिलसिला यूँ ही आहिस्ता आहिस्ता चल रहा था! रवि को पुराने गीत गुनगुनाने का बेहद खूबसूरत शौक था! वह बहुत ही तल्लीनता से अपनी इस शौक को पूरा करता था!
इस शौक के लिए वह रात्रिकाल मे घाट के किनारे गंगा जी के लहरों के सुरों के साथ अपने गीतों को सुर देता रहता था! पुराने संगीतकारों मे उसको किशोर कुमार बेहद पसंद थे!


 आज रविवार का दिन है!  अंजलि अपने दोस्तों के साथ अस्सी घाट घूमने आई थी! सुनीता, सुधा, राकेश, अमित व रजनी ये सब अंजलि के दोस्त थे! इत्तेफाक से रवि भी वही आया था ! रवि अंजलि को देखते ही पहचान गया! दोनों में हल्की सी बातचीत हुई,
 "हाय रवि, कैसे हो ?" अंजलि ने पूछा,

"हैलो अंजलि, मैं ठीक हूं!" रवि ने जवाब दिया!
अंजलि ने अपने दोस्तों से रवि की मुलाकात कराई! अंजलि के होठों पर एक हल्की सी मुस्कराहट व आंखों में निश्छलता के सुर फूट रहे थे!
"तुम्हारे दोस्त बहुत अच्छे हैं! इतने कम समय मे  तुमने इतने ढेर सारे दोस्त बना लिए जो बहुत ही काबिले तारीफ है!"
"यह तो मेरे अंदर का टैलेंट है रवि बाबू! कि मैं बहुत कम समय में लोगों को अपना बना लेती हूं!"

रवि बाबू, भले ही संबोधन दिखने मे साधारण सा हो लेकिन सभी सवालों के मुखर जवाब देने वाले रवि के मुख से एक भी प्रतिवाद के स्वर नहीं निकले! और रवि बाबू का संबोधन रवि के मन मे अंजलि को खास बना दिया! धीरे-धीरे इन दोनो की मुलाकातें, फिर दोस्ती का सिलसिला चलने लगा! रवि और अंजलि में एक चीज बहुत ही सामान्य थी! दोनों को ढेर सारी खुशियां उनके विरासत में मिली हुई थी! दोनों ने गम को बहुत निकट से नहीं देखा था! लेकिन रवि पुराने ख्यालातों का नया लड़का था! समय के चलने के साथ-साथ रवि ने जीवन के इस कड़वे सच को महसूस किया था और दूसरों के जीने में अनुभव प्राप्त करने वाला इंसान बन गया था! रवि की जिंदगी में काफी व्यावहारिकता और यथार्थ था! वह पिछले कुछ समय से बहुत ही गंभीर, भावनात्मक और जज्बाती बन गया था! कभी-कभी तो उसे ऐसा लगता था कि किशोर कुमार के संगीत के सुर उसके व्यक्तित्व के लिए ही सधे हुए हैं!

विश्वविद्यालय में वार्षिक महोत्सव का पर्व था! चारों ओर उल्लासपूर्ण माहौल था! लोग सर धज कर रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर युवक और युवतिओं ने माहौल को बना दिया था! खुशनुमा सुबह से पर्व की शुरुआत होने वाली थी! कुलपति साहब फीता काटकर और महामना जी का विधि विधान से पूजन करके पर्व की औपचारिक शुरुआत की थी! अंजलि अपने दोस्तों के साथ आई थी! सभी लोग खूब सज धज कर आए हुए थे लेकिन अंजलि कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी! उसने बाल खुले रखे थे और एक धूप का चश्मा लगाया था! दिल्ली रन की हाई हील सेंडल काली लेगी अब महेंद्र खुलती बौद्ध भी यादव खूबसूरत लग रही थी लवी की निगाहें अंजलि पर ठहर गई थी!  नीली जींस पैंट और सफेद टी-शर्ट में रवि भी खूब खिला रहा था! उसका गोरा और लाल चेहरा, मासूमियत और सलोनी सूरत उसके वेशभूषा में बहुत जँच रहा था! दोनों ने देखते ही हाय हैलो किया!
"हाय रवि, कैसे हो आओ? आओ, तुमको अपने एक खास दोस्त से मिल जाती हूं!"
"हां हां बिल्कुल!"
 "ये संजय है, जो मेरे लिए बहुत खास है! इनका नोएडा मे एक बिजनेस है और ये यहां से डिप्लोमा के सिलसिले से आये हैं! इन्हीं के साथ आज मेरा कपल डांस है!" संजय की ओर इशारा करके अंजलि ने कहा!
 तभी एक अपरिचित व भारी आवाज गूंजती है, "अच्छा आप है रवि भाई, अंजलि ने तो आपके बारे में बहुत कुछ बताया है!" संजय ने कहा!
 तभी रवि अंजलि की और देखता है और अंजलि की निगाह संजय की ओर टिकी थी! रवि ने उन दोनों की दिल की बात को पढ़ लिया था! रवि भले ही कम ऊंचाइयाँ देखी हो लेकिन वह बहुत गम्भीर इंसान है! सफलतापूर्वक दोनों का कपल डांस होता है! बेतहाशा तालियों की गड़गड़ाहट से उन दोनों की प्रशंसा होती है! लेकिन इस भीड़ भाड़ में रवि का दिल कहीं अकेला सा हो गया! उसकी नजर केवल अंजलि पर टिकी थी! डांस कार्यक्रम खत्म होने से पहले ही रवि वहां से उठकर चला आया! दूसरे दिन सुबह कहीं नहीं गया! दिन भर रूम में बैठा और दोस्तों से जरा सी बातचीत नहीं हुई! उसके मन में एक टीस थी, कुछ उजागर न कर पाने की! कभी-कभी तो खुद पर क्रोध भी आने लगता था! उसके लिए अंजलि के पलक का एक आंसू भी बहुत कीमती था, कोहिनूर से भी! अक्सर अंजलि की उदासी उसको पागल बना देती थी! वह उसके लिए बहुत कुछ कर सकता था! पता नहीं कैसा रिश्ता था, उसको खुद को भी नहीं पता! लेकिन आज पहली बार अंजलि की मुस्कुराहट रवि को परेशानी में डाल दिया! शाम को 5:00 बज गए! वह लाइब्रेरी पहुंचकर अपनी अधूरी थीसिस को लिखने लगा!  करीब 1 घंटे बाद अंजलि का टैक्स मैसेज आया,
  "रवि तुम कहाँ हों?"
  "लाइब्रेरी में " रवि ने रिप्लाइ दिया!
  "यार रवि, मै आज बहुत खुश हूं! पता है क्यों?"
  "क्यों?"
  "तुम तो कल दिखे ही नही थे! हमे बेस्ट कपल डांसर का इनाम मिला था! लोगों को मेरी जोड़ी बहुत पसंद आई थी! संजय मुझे बहुत प्यार करता है! कल बहुत रोमांटिक अन्दाज़ मे मुझे प्रपोज भी किया था! हम दोनों तुमको पार्टी देना चाहते हैं! आओ!"
  "देखो यार, मै अपनी अधूरी थीसिस पूरा कर रहा हूँ!"
  "ठीक है! लेकिन जब खाली हो तो जरूर मिलना!"
  "ओके, तुम्हें ढेर सारी बधाइयाँ!" एक स्माइली देते हुए रवि ने रिप्लाइ किया!


अंजलि को रवि का व्यवहार थोड़ा अजीब लगा! जहाँ एक पुकार मात्र से रवि दौड़ता चला आता था, वही आज इस खुशी के अवसर पर उसको साफ मना कर दे रहा है! लेकिन वह रवि से मिलकर बात करना चाहती थी! कुछ दिन तक दोनों मे कोई मुलाक़ात नही हुई! अंजलि और संजय का इश्क़ परवान चढ़ने लगा! दोनों दिनभर कैम्पस, कैफ़ेटेरिया, लाइब्रेरी व फ्रूट जूस शॉप तक घूमा करते थे! कहते हैं कि हर इंसान अपनी अपनी प्रेम कहानी का हीरो और हीरोइन होता है! हम सब अपने आपको बखूबी समझते हैं! अंजलि बहुत खुश रहने लगी थी! वह अपने आपको बहुत ही खुशनसीब प्रेमिका मानती थी! ऐसे लोग अपने पार्टनर से बहुत कुछ उम्मीद करने लगते हैं! अंत मे निराशा ही हाथ लगती है और फिर इश्क ही बदनाम होता है! अंजलि के साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला था!

अँजलि और रवि की भी बीच बीच मे मुलाकात हो जाती थी! लेकिन रवि अनमने ढंग से ही मिलता था! रवि एक नकली मुस्कुराहट के साथ अंजलि को अपनी खुशी दिखाता रहता था कि सब कुछ ठीक ठाक है! एक दिन अँजलि को बुखार आया था! 106 फॉरेन्हाइट बुखार था! उसके शरीर के अंग मानो टूटकर धधक रहे थे! आँखे ऐसी लाल थी कि मानो किसी ने अंगारे भर दिए हो! उसकी सहेलियां सुधा और सुनीता ने उसको तत्काल आपातकाल कक्ष मे ले आई! डॉक्टर ने कहा, "ज्यादा गर्मी का असर है! ऐसी गर्मी मे ज्यादा तनाव शरीर के लिए हानिकारक होता है!" अंजलि ने सुधा से संजय को बुलाने को कहा! संजय का फोन नहीं मिला!

अगले दिन संजय मिला और बोला, "ओ माई डियर अंजलि, व्हाट हैपेंड?"
"पहले तुम बताओ कि तुम फोन क्यों नही उठाए! मुझे बहुत अजीब फील होता है तुम्हारे बिना!"
"सॉरी यार, मै बिजी था! तुम जो सजा दोगी मुझे सब मंजूर है!"
"मजाक मत करो, मै तुम्हारे बिना अपनी कल्पना भा नही कर सकती हूँ! देखो तुम्हारे आने से मेरी तबीयत भी हरी हो गई!"
इस तरह संजय और अंजलि के दिन बीत रहे थे! जब इंसान प्यार मे होता है तो समय की रफ्तार बहुत तेज चलती है! अंजलि के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था! लेकिन कहते है कि किसी भी चीज की नशा बहुत खराब होती है, चाहे प्यार ही क्यों न हो!
   अंजलि के जिंदगी में एक चक्रवात आने वाला था! दोपहर के 3:00 बज रहे थे! घरव और बाहर चारों तरफ सन्नाटा था! भयंकर लब चल रहा था! सुधा और अंजलि रूम में बैठे थे! अचानक किसी ने दरवाजे को खटखटाया! सुधा ने दौड़ कर दरवाजा खोला, सामने डाकिया खड़ा था! उसने अंजलि को नाम लेकर चिट्ठी पकड़ाई! चिट्ठी संजय की थी! दोनों ने ठंडा पानी पिला कर डाकिया को विदा किया! जैसे ही अंजलि ने लिफाफा खोला, उसको आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा! उसके पैरों तले जमीन खिसक गई! वाह सूख कर गिर पड़ी! चिट्ठी में लिखा था....
   " मैं संजय बहुत ही सोच समझ कर लिख रहा हूं कि मैं अब तुम्हें छोड़कर जा रहा हूं! मेरी सगाई गायत्री के साथ तय हो गई है और मैंने तुम्हें बताया नहीं था! मैं बनारस एक डिप्लोमा के सिलसिले से आया था और तुमसे मुलाकात हो गई! मुझे टाइमपास करना था इसलिए तुम्हारी भावनाओं को मैं गंभीरता से नहीं लिया और मैं वापस नोएडा आ गया हूं! तुम मुझे कॉल मैसेज और किसी भी प्रकार से संपर्क करने की कोशिश मत करना! म्मीद है कुछ दिन में तुम भी मुझे भूल जाओगी!
   संजय!"
 
सुधा भी यह सब देखकर हतप्रभ रह गई! अंजलि के आँखो से एक विशाल अश्रुधारा फूट पड़ी! उसे कुछ सूझ ही नही रहा था!
सुधा ने बोला, "ज़्यादा स्ट्रेस न लेने का! अगर तुम टेंशन लेगी तो तुम्हारा हैल्थ नही सुघरेगा! बी बोल्ड ऐंड हैव पैशेंस! गॉड विल हेल्प यू डेफिनेटली!" कोलकाता निवासी सुधा एक बोल्ड लड़की थी! इसके अनुसार दुष्ट के साथ दुष्टतापूर्ण व्यवहार ही करना चाहिए! इसीलिए कॉलेज के कुछ लड़कों से इसकी बनती नही थी! सुधा कभी भी कुछ बातें गम्भीरता से नही लेती थी! वो संजय पर बहुत गुस्सा रही थी!

इस चक्रवात ने अँजलि की जिन्दगी को पूरी तरह बदल दिया! करोड़ों तूफान उसके दिल को घेर रहे थे! एक क्षण भी उसे चैन नही! उसके दिमाग मे बस वही चिट्ठी पर लिखी हुई बात गूंज रही थी! उसने संजय से सम्पर्क साधने का बहुत प्रयास किया लेकिन कोई कामयाबी नही मिली! अपने दोस्तों की मदद से उसने दिए गए पते पर नोएडा मे संजय के बारे मे पता किया, लेकिन यहां भी वो असफल रही! आँसू उसके दिल को चीर रहे थे! उसे दिन रात का पता नही था! अन्ततः वह बेहोश हो गई!

कुछ समय बाद उसे होश आया! अंजलि ने आँखे खोली! सामने रवि, सुधा, सुनीता और कई सारे लोग थे! रवि की आँखो मे वही मासूमियत और गम्भीरता थी जो अंजलि ने पहली नजर मे देखी थी! लेकिन अंजलि की आँखो मे उदासी के स्वर फूट रहे थे!  उसका गोरा बदन पीला पड़ गया था! उसके आंखो से अश्रुधारा फूटकर उसके पीले पड़ चुके गालों से होते हुए रवि के पैर को भिगो रहे थे! सुधा ने रवि को सारी  बात बता दिया था! अन्दर ही अन्दर अंजलि शर्मिंदा भी हो रही थी! क्योंकि आज उसके दिल के आगे उसकी आत्मा हार चुकी थी! रवि अपने हाथों से उसके बालों को सहेजते हुए उसके आँसुओ को पोछ रहा था! रवि ने अंजलि से बात करने की कोशिश की, अंजलि ने बहुत अनमने ढंग से हाँ हूँ मे जवाब दिया!

अंजलि किसी से भी बात करने के मूड मे नही थी, खुद से भी! शायद अन्दर का तूफान उसके अस्तित्व पर भारी पड़ गया था! रवि ने साथ मे लाए कुछ फल अंजलि को खिलाया और वहाँ से चला गया! उसने चुलबुली स्वभाव की अंजलि को आज पहली बार इतना असहाय देखा! उसको अंजलि पर तरस आ रहा था! वो उसके लिए बहुत कुछ करना चाह रहा था! रवि के मन पर हावी उदासी धीरे धीरे खतम हो रही थी! अंजलि कभी कभी संजय से बात करने को व्याकुल हो उठती थी! जिन्दगी के इस सफर मे जहाँ प्यार हार जाता है, मुस्कानें हार जाती है और आँसू हार जाते हैं वही मासूमियत और दोस्ती जीत जाते हैं!

अगस्त का महीना था! अंजलि की जिन्दगी ढीरे ढीरे ढर्रे पर आ रही थी! शाम का समय और सूरज ढलने वाला था! मोहित, रवि, सुधा, अंजलि और सुनीता सबलोग इकट्ठा थे! हँसी मजाक और अपने अपने कैरियर की बातें चल रही थी, लेकिन रवि और अंजलि शांत थे! रवि की नजरें अंजलि पर टिकी थी, लेकिन पीला मखमल सूट व जीन्स पहने, रूखे चिपटे बाल और लाल सी आँख लिए अंजलि की नजरें जमीन को एकटक घूर रही थी! एक महीने का रोना धोना और आँसुओ ने अंजलि के चेहरे को एकदम गिरा दिया था! न ताजगी था, न ही यौवन, न सुकुमारता थी और न ही कठोरता! आवाज भी कमजोर हो गई थी! सुधा ने रवि की ओर देखकर बात करने का इशारा किया! रवि ने चेहरे पर एक नकली मुस्कुराहट दिखाते हुए कहा, "अगले मन्थ मे मेरी थीसिस सब्मिट हो जाएगी, फिर मै शायद यहाँ से चला जाऊँ........... "

अंजलि को छोड़कर सब लोगों ने रवि को एक ही सुर मे बधाइयाँ दी! अंजलि की निगाहें एकटक रवि पर टिकी थी! शायद उन दोनों मे एक अनबूझा सा रिश्ता पनप रहा था! अचानक अंजलि को देखते हुए रवि ने कहा, "तुमको यार कुछ दिनों के लिए घर चले जाना चाहिए! शायद तुम्हारा मन बदल जाए और दिल भी लग जाए!"

"नही यार, मै अब अपना पूरा ध्यान कैरियर पर फोकस करना चाहती हूँ! ऐसे लोगों की वजह से मै अपना भविष्य अंधेरे मे नही झोंक सकती, लेकिन मै यहाँ से ऊब गई हूँ! कुछ दिनों बाद फार्माक्यूटिकल कंपनियां यहां पर प्लेसमेंट लेने आने वाली है! मै अपने आपको प्लेसमेंट के लिए तैयार करूंगी, यही मेरी भविष्य की योजना है!"
सुधा ने कहा, "वाह रे अंजलि! तूने क्या प्लान बनाया! उस सेल्फिश पीस से ब्रेकअप होने से तेरा दिमाग और खुल गया!" सुधा की बात सुनकर सब हँसने लगे, अंजलि को मुस्कुराता देखकर रवि भी मुस्कुराने लगा! अचानक मुस्कराते रवि की आँखो मे एक पतंगा घुस गया! वह आँखे भीचने लगा!
"क्या हुआ?" सुधा ने पूछा!
"शायद आँख मे कुछ चला गया....!"
अचानक अंजलि ने अपने पीले मखमल के सूट को उंगली मे गुरमेटकर बाँधा और गरम साँस फूंककर रवि के आँख पर रखा! ऐसा उसने दो से तीन बार किया!
"बस ठीक हो गया!" रवि ने कहा!
उसकी आँखें लाल हो गई थी और आँसू आ गए!
उन दिनों जीवन और प्रेम बहुत सरल था, कोई दिखावा नहीं था यह सिर्फ विशुद्ध प्रेम था। उन दोनो ने कभी गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के रूप में एक-दूसरे के साथ व्यवहार नहीं किया! लेकिन रूह से रूह तक एक रिश्ता पनप चुका था! अंजलि और रवि के दिल मे एक दूसरे के प्रति इज्जत और बढ़ गई! वह संजय को लगभग भूल ही गई थी!

आज रवि के थीसिस के सबमिशन का दिन था! हॉल मे सारी तैयारियां हो रही थी! आज उसे डॉक्टर की उपाधि मिलने वाली थी.... ड्रॉ़ रवि घोष!
सीनियर प्रोफेसर के उपस्थिति मे  Viva Voice द्वारा अपनी थीसिस सबमिशन की प्रक्रिया को खतम किया! शामतक रवि को बधाइयाँ देने वालों का तांता लग गया! अंजलि ने भी फोन करके रवि को बधाई दी! पीएचडी खत्म होने की खुशी मे रवि ने अपने मित्रगणों, दोस्तों और गुरुजनों को एक रेस्त्रां मे डिनर पार्टी के लिए आमन्त्रित किया! रवि और अंजलि बगल मे बैठे थे! दोनों बहुत खुश थे! गुलाबी साड़ी मे अंजलि बेहद खूबसूरत लग रही थी! आज रवि ने अंजलि को पहली बार साड़ी मे देखा था! डिनर के बाद सभी लोगों ने रवि को बधाइयाँ दी और उज्ज्वल भविष्य की कामना की!

धीरे धीरे रवि और अंजलि दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे! रवि ने अंजलि को प्लेसमेंट के लिए तैयार करना शुरू कर दिया! व्यक्तित्व परीक्षण और पर्सनल इंटरव्यू के गुर देने के साथ साथ वो उसे खुश रहना भी सिखा रहा था! वो अपने सारे अनुभवों को अंजलि के अंदर उड़ेल देना चाहता था! अगले सप्ताह सोमवार को अंजलि का इंटरव्यू था! इंटरव्यू के दिन पैनल बोर्ड के सदस्यों द्वारा शाम तक रिज़ल्ट घोषित किया जाना था! उसके दिल मे घबराहट थी लेकिन रवि को अंजलि के ऊपर पूरा भरोसा था! रिजल्ट की घोषणा होते ही अंजलि ने रवि से अपनी खुशी इजहार किया! आज उसकी कैरियर की दौड़ पूरी हो चुकी थी! वह बहुत खुश थी! अंजलि को उसके मनमुताबिक फार्मा कंपनी मे जॉब मिल चुकी थी!

कल अंजलि जाने वाली थी! जाने से पहले वो पूरे बनारस को महसूस कर लेना चाहती थी! रवि अस्सी घाट की सीढ़ियों पर अकेला बैठा था! रिमझिम बूंदो के साथ हल्की बारिश हो रही थी! बारिश की बूंदे लहरों मे समा रही थी! वह गंगा की लहरों को समेट लेना चाहता था! कभी कभी वह लहरों के सहारे अपने अंदर झांक रहा था! उसे लग रहा था कि वह पहले से कुछ कठोर हो गया है, वह अंजलि के प्रति बहुत गंभीर हो गया है! वह अंजलि के विश्वास को जीत चुका था! वह ऐसे ही सुंदर ख्यालों मे डूबा था कि अंजलि वहां आ गई! वह अपनी कुहनी को रवि के कंधे का सहारा देकर खड़ी हो गई! रवि मुस्कुरा उठा! उसने कहा,
"तुम इतना ऊंचा उड़ना कि आसमान छू लेना!"
"जरूरत नही है!"
"अरे ऐसा क्यो कह रही हो?"
"आसमान छूने की जरूरत नही! आसमान मेरे सामने खुद झुकता है!"
"अरे वाह अभी से इतना घमंड! जब कल ज्वानिंग होगी तब क्या होगा?"
"अब इसमे घमंड वाली क्या बात! अच्छा एक किस दो!"
"अरे पगली! अचानक से ये क्या?"
"अरे यार! लड़की हम है और शरमा तुम रहे हो! इतना शरम कहां से लाते हो?"

फिर रवि ने अपने होंठो को उसके माथे पर टिका दिया और घाट थम सा गया!

"फिर अंजलि बोली, "देखो मेरा आसमान मुझे चूमने के लिए मेरे सामने झुकता है!"

अंजलि के इतना कहने पर रवि मुस्कुरा उठा और साथ ही माँ गंगा की लहरें भी मुस्कुरा उठी!


हल्की हल्की रिमझिम बारिश और काले बादल के बीच सूरज की सुनहरी किरणें रवि और अंजलि के चेहरे को प्रतिबिंबित कर रही थी! एक अजीब सी मुस्कान थी! ऐसी मुस्कान जैसे बादल भरे काले घुमड़ते आसमान को देखकर अपने सुनहरे पंखो को फैलाकर दुनिया की परवाह किए बिना मोर मुस्कुरा देता है!