Sunday, 30 July 2017

ईश्वर कहां है..

ईश्वर कहां है....
पिछले दिनों में अपने दोस्तों के साथ सवेरे सवेरे श्री काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए गोदौलिया गया....
 1. श्री कालभैरव मंदिर
 2. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

कहते हैं अगर आपको बनारस में रहना है तब आपको काल भैरव के दर्शन करना चाहिए क्योंकि कालभैरव का आशीर्वाद से आपको बनारस में जिस काम के लिए आए हैं वह काम आसानी से हो जाता है, लेकिन मुझे यहां पर रहते हुए 1 साल से ज्यादा हो गए थे..
लेकिन इसे समय की व्यस्तता कहें या कुछ और मैं वहां जा नहीं पाया...
मगर लगातार मेरे दिमाग में यह बात आ रही थी कि ईश्वर कहां है..
मंदिर में जाते समय दुकानदार  चिल्ला रहे थे

प्रसाद ले लो. प्रसाद ले लो. जूता यहां रखो चप्पल यहां रखो अपना बैग या मोबाइल जमा करो....

बैग मोबाइल दो अंदर ले कर जा नहीं सकते थे अत: मैंने वहां जमा कर दिया
हम लोग ने गेट नंबर वन पर लाइन के लिए खड़े हो गए लाइन बहुत लंबी थी लेकिन भक्तों के उत्साह के सामने कुछ भी नहीं है
लेकिन अगर कोई एजेंट को ₹100 वा ₹200 दे दे तो उसको जल्दी दर्शन मिल जाता है और कोई अगर कोई VIP आ गया तो सॉरी लाइन खत्म....
फ्री दर्शन की लाइन वाले जैसे ईश्वर की भक्त ही नहीं है उनका  हृदय बहुत व्यथित होता है

फिर बात आती है प्रसाद  की 50 व 60 व ₹200 व  1000 जितना भी खर्चा कर लो धर्म के ठेकेदारों के लिए कम ही है
बहुत सारे पंडित या धर्म के ठेकेदार जो  सशुल्क  साक्षात दर्शन का ठेका ले रहे थे यह धर्म के ठेकेदार लोग कब समझेंगे कि इश्वर तो दिल मे होते हैं..ये तो दर्शनीय मूरत हैं...इश्वर कहां है मेरी ये खोज आज पूरी हुई..इश्वर अबोध बच्चों मे है..इश्वर फूलों में है..इश्वर सही नियत मे है..इश्वर हर जगह है

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