Sunday, 27 August 2017

विदाई


एक फौजी की छुट्टियां खत्म होने पर घर से विदाई के भावुक क्षण
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"बैग की बाहर वाली चैन में टिफिन रखा है, रस्ते में खा लेना याद करके, अबकी बार भूले तो लड़ाई हो जायेगी हम दोनो की"-उसने गुस्से वाले अंदाज में बोला फिर अलमारी से कपड़े निकाल के सुटकेश में रखते हुये टॉवल को लम्बी सांस में सूंघा ओर उसको साइड में रखते हुये
"ये आपका यूज किया हुआ टॉवल मैं रखुंगी आपकी ख़ुश्बू आती रहेगी ।
नया टॉवल रख दिया है सबसे नीचे वाली तह में निकाल लेना जाके ।
पैकिंग खत्म हो गयी थी पर बैग को छोड़ने को मन नही कर रहा था , जैसे वो चाहती है उसे रोकना ,पर रोक भी नही सकती ,
इधर उधर तेजी से घूम रही है जैसे कुछ खोया है ओर किसी को बता भी नही सकती!
उसके पति ने कपड़े पहन लिये थे, और एक जूता भी । वो झट से बैठी ओर लैश कसते हुये, "और हां मुझे याद तो बिल्कुल भी मत करना, सारा काम करना होता है घर का,आप याद करोगे तो मेरा काम में मन नही लगेगा । फिर , आपकी मां को तो आप जानते ही हो , आपके जाते ही रोज लड़ाई करेगीं मुझसे । पर, आप चिंता ना करना वो कुछ बोलेंगी ,तो भी मैं सुन लुंगी।
आप बस अपना ख्याल रखना । हर तीसरे दिन बच्चो के जैसे जुकाम लगा लेते हो! ( आंसूओ की बारिश में जैसे जहाँ डूब जाये )
"शशशश् पागल रोते नही । तु एक # फौजी की बीवी है ,मैने मातृभूमि की रक्षा का प्रण लिया है और तुने मेरे प्रण के लिये अपनी जवानी को जलाना है, बोल साथ देगी ना मेरा ??
" (गले से लगाते हुये )"हाँ" रुंधे गले से (और वो उसका माथा चूम के कमरे से बाहर निकला ।
फिर वो भारी मन से रखने लगी अपने कपड़े, गहने ओर मेकअप वापिस संदूक में ,जो उसके, पति के पास होने पर ही सजते हैं ,ये फिर तभी निकलेगें जब वो अगली बार आयेगा!!
धन्य है फौजी और उनका परिवार

Sunday, 20 August 2017

लड़की और पुरुष की मर्दानगी

लड़की उम्र में बड़ी हो तो मर्दानगी को ठेस लगती है - लड़की लम्बी हो तो भी मर्दानगी को चोट लगती है - लड़की अधिक कमाती हो तो मर्दानगी हर्ट होती है - लड़की आर्ग्यूमेंटेटिव हो तो मर्दानगी को क्षति पहुँचती है - लड़की दो क़दम आगे चलने लगे तो मर्दानगी पर विराम लग जाती है - लड़की 'ना' कह दे तब तो मर्दानगी विध्वंश हो जाती है - बिना पूछे पत्नी किसी पुरुष दोस्त से बात कर ले तो मर्दानगी दाँत पीसने और मुक्का भींचने लगती है .... मतलब ये कि स्त्री पुरुषों से कमतर रहे, उनके नियंत्रण में रहे, उनपे निर्भर रहे और उनका एहसान मानती रहे तभी मर्दानगी साबित होती है, 'अब-ऐसा-नहीं-है' जैसी बातों में कोई दम नहीं ........ मर्दानगी (मैस्क्युलिनिटी) एक कुण्ठित श्रेष्ठताबोध है, इसका शारीरिक बल से कुछ भी लेना-देना नहीं, बल्कि ये मानसिक दुर्बलता है, रुधिर उग्रता है !!

ये कैसा प्यार?

ये कैसा प्यार______
‘’मुझे बड़ी उम्र की लड़कियां पसंद हैं इसलिए तुम्हें प्यार करता हूँ ”
तीस वर्ष की कमाऊँ युवती से बीस वर्ष के बेरोजगार युवक ने कहा |
लोग क्या कहेंगे ?हमारी जोड़ी देखकर हँसेंगे या नहीं ...|
मुझे लोगों की परवाह नहीं
--दस वर्ष के बाद मैं अधेड़ हो जाऊँगी तो क्या तुम मुझसे विरक्त नहीं हो जाओगे ?
“इतना नीच नहीं हूँ और प्रेम सिर्फ शरीर से थोड़े होता है शरीर तो बस माध्यम है आत्मा तक पहुँचने का ”
--तुम इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर लेते हो ?
“खबरदार !जो मुझे कम उम्र कहा |मैं बुद्धि से मैच्योर हूँ ,तुमसे भी ज्यादा |कम उम्र की लड़कियां तो मुझे बच्ची लगती हैं |”
--फिर भी मैं उम्र में तुमसे बड़ी हूँ ...|
‘’एक थप्पड़ लगाऊँगा बच्ची सी अक्ल और चली हैं बड़ी बनने ....|”
और दोनों में दोस्ती हो गयी |दोस्ती प्यार में बदली और लड़की सपनें देखने लगी |लोगों ने कहा –लड़की चालू है बेचारे लड़के को फँसा लिया
लड़के के दोस्तों ने लड़के से पूछा –क्यों यार ,बड़े चर्चे हैं तुम्हारे शादी करोगे क्या उससे ?
लड़का हँसा--शादी और उस बुढ़िया से अरे बहती गंगा है हाथ धो रहा हूँ मुफ्त में माल और देह दोनों पा रहा हूँ बस |
और अपनी जरूरते पूरी कर रहा हूँ |

Friday, 4 August 2017

मां बाप

एक छोटा सा बोर्ड रेहड़ी की छत से लटक रहा था,उस पर मोटे मारकर से लिखा हुआ था.....!!
"घर मे कोई नही है,मेरी बूढ़ी माँ बीमार है,मुझे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें खाना,दवा और हाजत कराने के लिए घर जाना पड़ता है,अगर आपको जल्दी है तो अपनी मर्ज़ी से फल तौल ले और पैसे कोने पर गत्ते के नीचे रख दें,साथ ही रेट भी लिखे हुये हैं"
और अगर आपके पास पैसे नही हो तो मेरी तरफ से ले लेना,इजाजत है..!!
मैंने इधर उधर देखा,पास पड़े तराजू में दो किलो सेब तोले,दर्जन भर केले लिए,बैग में डाले,प्राइज लिस्ट से कीमत देखी,पैसे निकाल कर गत्ते को उठाया वहाँ सौ पच्चास और दस दस के नोट पड़े थे,मैंने भी पैसे उसमे रख कर उसे ढक दिया।बैग उठाया और अपने फ्लैट पे आ गया,इफ्तार के बाद मैं और भाई उधर निकले तो देखा एक कमज़ोर सा आदमी,दाढ़ी आधी काली आधी सफेद,मैले से कुर्ते पजामे में रेहड़ी को धक्का लगा कर बस जाने ही वाला था ,वो हमें देख कर मुस्कुराया और बोला "साहब! फल तो खत्म हो गए
नाम पूछा तो बोला अरसद हुसैन
फिर हम सामने वाले ढाबे पर बैठ गए...
चाय आयी,कहने लगा "पिछले तीन साल से अम्मा बिस्तर पर हैं,कुछ पागल सी भी हो गईं है,और अब तो फ़ालिज भी हो गया है,मेरी कोई औलाद नही है,बीवी मर गयी है,सिर्फ मैं हूँ और अम्मा..! अम्मा की देखभाल करने वाला कोई नही है इसलिए मुझे हर वक़्त अम्मा का ख्याल रखना पड़ता है"
एक दिन मैंने अम्मा का पाँव दबाते हुए बड़ी नरमी से कहा, "अम्मा! तेरी तीमारदारी को तो बड़ा जी चाहता है। पर जेब खाली है और तू मुझे कमरे से बाहर निकलने नही देती,कहती है तू जाता है तो जी घबराने लगता है,तू ही बता मै क्या करूँ?"
अब क्या गैब से खाना उतरेगा? न "मैं बनु इस्राईल से हूँ न तू मूसा की माँ है."
ये सुन कर अम्मा ने हाँफते काँपते उठने की कोशिश की,मैंने तकिये की टेक लगवाई,उन्होंने झुर्रियों वाला चेहरा उठाया अपने कमज़ोर हाथों का प्याला बनाया,और न जाने अल्लाह से क्या बात की,फिर बोली...
"तू रेहड़ी वहीं छोड़ आया कर हमारा रिज़्क हमे इसी कमरे में बैठ कर मिलेगा"
"मैंने कहा अम्मा क्या बात करती हो,वहाँ छोड़ आऊँगा तो कोई चोर उचक्का सब कुछ ले जायेगा, आजकल कौन लिहाज़ करता है? और बिना मालिक के कौन खरीदने आएगा?"
कहने लगीं "तू फ़ज़्र की नमाज़ के बाद रेहड़ी को फलों से भरकर छोड़ कर आजा बस,ज्यादा बक बक नही कर,शाम को खाली रेहड़ी ले आया कर, अगर तेरा रुपया गया तो मुझे बोलियो"
ढाई साल हो गए है भाई! सुबह रेहड़ी लगा आता हूँ शाम को ले जाता हूँ,लोग पैसे रख जाते है फल ले जाते हैं,एक धेला भी ऊपर नीचे नही होता,बल्कि कुछ तो ज्यादा भी रख जाते है,कभी कोई अम्मा के लिए फूल रख जाता है,कभी कोई और चीज़! परसों एक बच्ची पुलाव बना कर रख गयी साथ मे एक पर्ची भी थी "अम्मा के लिए"
एक डॉक्टर अपना कार्ड छोड़ गए पीछे लिखा था अम्मा की तबियत नाज़ुक हो तो मुझे काल कर लेना मैं आजाऊँगा,कोई खजूर रख जाता है , रोजाना कुछ न कुछ मेरे रिज़्क के साथ मौजूद होता है।
न अम्मा हिलने देती है न अल्लाह रुकने देता है,अम्मा कहती है तेरा फल अल्लाह फरिश्तों से बिकवा देता है।
आखिर में इतना ही कहूँगा की अपने मां बाप की खिदमत करो ,और देखो दुनिया की कामयाबियाँ कैसे हमारे कदम चूमती है ।