लड़की उम्र में बड़ी हो तो मर्दानगी को ठेस लगती है - लड़की लम्बी हो तो भी मर्दानगी को चोट लगती है - लड़की अधिक कमाती हो तो मर्दानगी हर्ट होती है - लड़की आर्ग्यूमेंटेटिव हो तो मर्दानगी को क्षति पहुँचती है - लड़की दो क़दम आगे चलने लगे तो मर्दानगी पर विराम लग जाती है - लड़की 'ना' कह दे तब तो मर्दानगी विध्वंश हो जाती है - बिना पूछे पत्नी किसी पुरुष दोस्त से बात कर ले तो मर्दानगी दाँत पीसने और मुक्का भींचने लगती है .... मतलब ये कि स्त्री पुरुषों से कमतर रहे, उनके नियंत्रण में रहे, उनपे निर्भर रहे और उनका एहसान मानती रहे तभी मर्दानगी साबित होती है, 'अब-ऐसा-नहीं-है' जैसी बातों में कोई दम नहीं ........ मर्दानगी (मैस्क्युलिनिटी) एक कुण्ठित श्रेष्ठताबोध है, इसका शारीरिक बल से कुछ भी लेना-देना नहीं, बल्कि ये मानसिक दुर्बलता है, रुधिर उग्रता है !!
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