Friday, 21 December 2018

बेतुके बयान की दास्तां

बालीवुड के लेजेंड एक्टर नसीरुद्दीन शाह जी ने अभी एक बयान दिया था, उनके बयान को मै धर्म की नजर से नहीं देखता हूँ। उनके मन मे भविष्य के लिए जो विचार आया उसको व्यक्त कर दिया, अब हम इसी बयान के आधार पर उनको ट्रॉल करे, उनको पाकिस्तान व सीरिया जाने को बोलें या उनको धमकियाँ दे तो ये एक तरह से उनके बयान को सही साबित करने का हम मौका दे रहे हैं। यही तो वो कह रहा है हमे उनके बयान को गलत साबित करना था, लेकिन हम क्या कर रहे हैं?

दूसरी बात यह है कि हमे इन सब बातों को ज्यादा महत्व देना ही नहीं चाहिए वरना इसका राजनीतिकरण बहुत जल्दी हो जाता है। इसको धर्म व साम्प्रदायिकता से जोड़कर हम महत्वपूर्ण मुद्दों से जानबूझकर भटक जाते हैं और हमारे हाथ मे कुछ नही आता। ऐसे बयानों से हमारी भावनायें बहुत जल्दी आहत हो जाती है लेकिन वास्तविक मुद्दों और सच्चाई से हम कभी आहत नहीं होते, कितनी शर्म की बात है ना!

अक्सर हमे हमारे अधिकार पता होते हैं लेकिन हमारे फर्ज क्या हैं और हमारे कर्तव्य क्या हैं ये हमे नहीं पता होता।

हम कहाँ जा रहे हैं? हमारा लक्ष्य क्या है? वास्तव मे हमे शिक्षा की नही जागरूकता की जरूरत है क्योंकि जागरूकता ही हमे चिंतित बना सकती है और चिंता से ही हम सही और गलत मे अन्तर जान सकते हैं। हमे चिंता करना होगी कि हमारा कौन सा कदम आगे चलकर हमारी आने वाली पीढ़ी  के लिए खतरा बन सकता है, समाज मे कभी कभी कुछ चीजें, जो नही होना चाहिए, हो जाती हैं, जिसको हमे रोकने का प्रयास करना चाहिए। वरना हम मानव और पशु मे कोई अंतर नहीं। यदि हम रोकने का प्रयास नही करेंगे तो आगे चलकर यही सब हमे डराएगा और शायद हम अपनी अन्तरआत्मा और अग्रिम पीढ़ी को मुँह दिखाने के काबिल भी ना हो पाएँ।

©राहुल

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