"सर, रेप केस आया है।"मुंशी ने कहा।
"आहा..."दारोगा के चेहरे पर चमक आ गई।
"दुष्कर्मी मालदार आदमी है। उसका पैरवीकार भी आ गया सर।"
"मूँछ पर ताव देकर,"बोहनी अच्छी है। लाख -डेढ़ लाख असानी से मिल ही जाएगा।"
"पीड़िता स्कूली ड्रेस पहने हुए अर्धमूर्छित अवस्था में है। कुछ बोल नहीं रही है सर।"
"हूं......सामने लाओ उसे।"
उसे देख दरोगा जी की चीख निकल गई।"कमीने छोड़ूगा नहीं। मुंशी जी जोरदार धारा लगाओ। साला बेल होने न पाए।"
"सर,तीन लाख तक देगा।"
"आँखें तरेरते हुए,"दलाली तो बंद करो।"
"सहमते हुए,"क्या हुआ सर!"
"पीड़िता मेरी बेटी है।"
"आश्चर्य से,"क्या....."
सम्हलते हुए,"आपके पूर्व निर्देशानुशार अनाम लड़की के नाम हलकी एफ.आई.आर.लिखी जा चुकी है। कॉपी जिला एस.पी.को ऑनलाइन भेजी जा चुकी है।"
जोरदार चीख के साथ टेबल पर सिर पटकते हुए,"साले हम लोग निर्दयी राक्षस हैं।"और फुटकर रोने लगा।"
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