कौन जान सकेगा कि
पा गया मै कितना कुछ
उन चंद लम्हों में
जब तुम बैठी थी मेरे पास
और मै......
एक टक निहार रहा था तुझे
शायद मै ढूंढ रहा था
तुझमे अपनी "प्रियतमा"
पर मेरे चेहरे की लकीरों में
तुम्हारी उदास आँखें
भटक रही थी..
और मैं .......
उन चंद लम्हों को समेट लेना चाहता था....
सदियों की मेरी प्यास आज
भींग रही थी
बूंद बूंद एहसास में
तुम्हारे मिलन के
चंद लम्हों के पल को
अपने दिल मे सोख लेना चाहता था....
अपना प्रेम .....
पा गया मै कितना कुछ
उन चंद लम्हों में
जब तुम बैठी थी मेरे पास
और मै......
एक टक निहार रहा था तुझे
शायद मै ढूंढ रहा था
तुझमे अपनी "प्रियतमा"
पर मेरे चेहरे की लकीरों में
तुम्हारी उदास आँखें
भटक रही थी..
और मैं .......
उन चंद लम्हों को समेट लेना चाहता था....
सदियों की मेरी प्यास आज
भींग रही थी
बूंद बूंद एहसास में
तुम्हारे मिलन के
चंद लम्हों के पल को
अपने दिल मे सोख लेना चाहता था....
अपना प्रेम .....
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