Thursday, 28 December 2017

वह चश्मे वाली लड़की

वह चश्मे वाली लड़की थी
जो मेरे साथ पढ़ती थी
चुपके चुपके हौले हौले
मुझको देखा करती थी
खामोश लफ्ज थे मेरे
वह बकबक बोला करती थी
गंगा की पवित्रता थी उसमें
और मिश्री जैसी मीठी थी
धीमे धीमे खामोशी से
जब वह बातें करती थी
रिमझिम जैसी बातों में से
एक ग़ज़ल निकला करती थी
तनहाई में गुनगुनाता हूं वो गजल
जब वह याद आती थी
उदास होना तो मेरा नसीब है
वही सफर वहीं मंजिल थी
क्या लिखूं अब उसके बारे में
यौवन की वो एक ज्वाला
मेरे प्रेम की एक प्याला थी
वह चश्मे वाली लड़की थी
जो ‎मेरे साथ पढ़ती थी...

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