Thursday, 28 December 2017

हमारी न्यायवस्वस्था

गीता की कसम,
हाथों में तराजू
आँखो मे पट्टी बांधी है.
लक्ष्मी जी की इज्जत है
चंद घोटालेबाजों के हाथों में
ये न्यायवस्वस्था की कैसी आंधी है
अगर इसी तरह होते रहे फैसले
तो कोई न्यायालय नही जायेगा
गरीब जनता की होगी चीख
न्यायपालिका से भरोसा उठ जायेगा
सब खुद ही आपस मे फैसला कर लेंगे
खुद ही आपस मे सजा  दे देंगे
रामराज्य से जंगलराज आ जायेगा
चंद पैसे और माननीयों को छोड़ो
न्याय की देवी की आँखो मे आंसू तो देखो
करते वक्त अपनी कलम से फैसला
माँ भारती की आन बान व शान तो देखो

वंदे मातरम

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